जेनेटिक एक्सपर्ट्स की एक शोध में पता चला कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत में मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में क्यों कम है। उनके मुताबिक भारतीयों को वंशाषु यानी जीन्स का आभारी होना चाहिए, जिसकी वजह से अमेरिका और यूरोपीय देशों की तुलना भारत में कोरोना बीमारी से होनी वाली मौतों का दर काफी कम है।
संबंधित खबरें :पुत्र के खाते में गई राहत राशि और राहत को मां बेचैन
जानिए शोध क्या कहता है !
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एक चर्चित प्रोफेसर के नेतृत्व में 6 संस्थानों के विशिष्ट आनुवंशिक विशेषज्ञों वाली एक टीम ने विभिन्न महाद्वीपीय आबादी से एक्स गुणसूत्र के एंजियोटेनसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 (ACE2) जीन के पूर्ण डीएनए डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि यह भारतीय जीन ही है, जिसने यहां कि आबादी की रक्षा की है और इस घातक वायरस से लड़ने में मदद भी कर रहा है।
इस शोध से ये साबित होता है कि भारत और दक्षिण-पूर्वी देशों की तुलना में कोविड-19 की मृत्यु दर यूरोपीय देशों और अमेरिका में बहुत अधिक क्यों है।
प्रोफेसर चौबे के मुताबिक, “ACE2 जीन कोरोना वायरस का प्रवेश द्वार है और इस जीन के कुछ आनुवंशिक परिवर्तन रोग की गंभीरता से संबंधित हैं।”
अन्य शोध समूहों द्वारा ACE2 जीन पर कुछ प्रारंभिक अध्ययन किए गए हैं, लेकिन उनमें से सभी विभिन्न उत्परिवर्तनों की उपस्थिति या अनुपस्थिति की तलाश में हैं, जबकि, इस टीम ने अधिक शक्तिशाली हैप्लोटाइप-आधारित विश्लेषण का इस्तेमाल किया ।
स्विटज़रलैंज के एक्सपर्ट जॉर्ज वान ड्रीम ने कहा, “अधिकांश दक्षिण एशियाई लोगों की आनुवांशिक वंशावली को पूर्व यूरेशियाई लोगों की बजाय पश्चिम यूरेशियन आबादी से पता लगाया जा सकता है, जबकि इस जीन के परिणाम बिल्कुल अलग हैं।”