बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान करीब है लेकिन पार्टियों के बीच गठजोड़ जारी है. वहीं गुरुवार को RLSP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नए फ्रंट का ऐलान किया, जिसमें बीएसपी, समाजवादी जनता दल लोकतांत्रिक सहित 6 पार्टियां शामिल हैं. इसे ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट कहा गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी के एनडीए और आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन के बीच भले ही मुख्य मुकाबला होने की उम्मीद की जा रही है. लेकिन इसे चुनौती देने के लिए कुशवाहा-ओवैसी-मायावती ने हाथ मिलाया है. बिहार के जातीय गणित के हिसाब से चुनाव में कुशवाहा-मायावती-ओवैसी की जोड़ी नए सियासी फॉर्मूले के साथ मैदान में उतरी है, जो एनडीए और महागठबंधन दोनों का सियासी खेल बिगाड़ सकती है.
कुशवाहा-दलित-मुस्लिम समीकरण
बिहार में 16 फीसदी मुस्लिम हैं और 16 फीसदी ही दलित मतदाता हैं. बिहार में कुशवाहा की कुल आबादी 5-6 फीसदी है. इस हिसाब से कुल वोट करीब 37-38 फीसदी बन रहा है. ऐसे में तीनों दल अगर इन वोटों को अपने फ्रंट के पक्ष में करने में सफल हो जाएं तो विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इसी समीकरण को देखते हुए मायावती, कुशवाहा और ओवैसी ने आपस में हाथ मिलाया है.